Human nervous system in Hindi, नर्वस सिस्टम रोग, नर्वस सिस्टम कमजोर होने के लक्षण, तंत्रिका तंत्र के कार्य, Nervous system parts and functions, Central nervous system, neurons meaning in Hindi
मनुष्य आश्चर्यजनक रूप से जटिल हैं. हमारे ग्रह पर असंख्य एकल-कोशिका वाले जीवों की तुलना में, मनुष्य विशाल अधिरचना है। हमारे पास खरबों कोशिकाएं हैं जो विशेष ऊतकों, अंगों और हड्डियों की एक श्रृंखला को इकट्ठा करने और बनाए रखने का काम करती हैं। ये सब मिलकर एक एकल प्राणी बनाते हैं इस केंद्र को हम तंत्रिका तंत्र कहते हैं
Human nervous system in Hindi
जब हम तंत्रिका तंत्र के बारे में सोचते हैं, तो हमारे विचार तुरंत मस्तिष्क में चले जाते हैं । मस्तिष्क न्यूरोनल गतिविधि का एक छत्ता है, जिसमें अरबों न्यूरॉन्स यादों को संरक्षित करने और याद रखने, विचारों और भाषण का समन्वय करने और भविष्य के कार्यों की योजना बनाने के लिए काम करते हैं ।
रीढ़ की हड्डी के साथ-साथ, हमारे तंत्रिका तंत्र के हड्डी-आवरण वाले हिस्सों को केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कहा जाता है । हमारे अधिकांश न्यूरॉन्स सुरक्षात्मक तरल पदार्थ और हड्डी के पीछे छिपे होते हैं, जहां से वे शरीर के चारों ओर के अंगों से संकेत प्राप्त करते हैं और उन्हें निर्देशित करते हैं। हालाँकि, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से भेजे गए संकेतों के पास अपने लक्ष्य अंगों तक पहुँचने के कुछ साधन होने चाहिए ।
इसके लिए उन्हें उन तंत्रिकाओं से जुड़ने की आवश्यकता होती है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से लेकर शरीर के छोर तक फैली होती हैं। तंत्रिकाओं के इस दूसरे नेटवर्क को परिधीय तंत्रिका तंत्र कहा जाता है। केंद्रीय और परिधीय मिलकर तंत्रिका तंत्र के प्रमुख विभाग बनाते हैं।
परिधीय तंत्रिका तंत्र कई कार्यों के लिए जिम्मेदार है, और इस तरह इसमें कई उपविभाग हैं जो विभिन्न कार्यों में विशेषज्ञ हैं संवेदी, या अभिवाही विभाग परिधि से संकेत प्राप्त करता है और उन्हें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में ले जाता है । मोटर, या अपवाही विभाजन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से बाहर की ओर परिधीय अंगों और मांसपेशियों तक क्रियाओं के लिए संकेत भेजता है।
ये मोटर कार्य दो रूपों में आते हैं: दैहिक और स्वायत्त।
दैहिक क्रियाएँ शायद तंत्रिका तंत्र की समझने में सबसे आसान अवधारणा है, क्योंकि ये हमारी सभी स्वैच्छिक क्रियाओं को निर्देशित करती हैं, जैसे कप उठाना या बिस्तर पर कूदना ।
हालाँकि, सभी दैहिक मोटर कार्य स्वैच्छिक नहीं हैं । कुछ हमारे शरीर में निर्मित स्वचालित, पूर्व-क्रमादेशित प्रतिक्रियाएँ हैं जो हमें खतरे से निपटने में मदद करती हैं, जिन्हें दैहिक सजगता के रूप में जाना जाता है।
जब आप गलती से गर्म चूल्हे को छू लेते हैं, किसी नुकीली वस्तु पर कदम रख देते हैं या कोई चीज आपकी आंख की ओर उड़ जाती है, तो आपको ऐसी प्रतिक्रिया दिखाई देगी – इससे पहले कि आप इसके बारे में जागरूक हों, आपका शरीर प्रतिक्रिया करता है । आपका हाथ दूर हो जाता है, आप दूसरे पैर पर कूद पड़ते हैं या आपकी पलकें बंद हो जाती हैं। यह सब दैहिक सजगता का काम है,
जो अविश्वसनीय रूप से तेज़ी से कार्य कर सकता है क्योंकि उन्हें मस्तिष्क से स्वैच्छिक इनपुट की आवश्यकता नहीं होती है । इस तरह के रिफ्लेक्स विभिन्न स्वादों में आ सकते हैं – अपने हाथ को खतरे से दूर खींचना फ्लेक्सर या विदड्रॉल रिफ्लेक्स के रूप में जाना जाता है,
जबकि किसी तेज वस्तु पर कदम रखने से क्रॉस-एक्सटेंसर रिफ्लेक्स शुरू होता है। यह बाद वाला रिफ्लेक्स स्वचालित रूप से कई मोटर कार्यों को ट्रिगर करता है: जैसे ही एक पैर पीछे हटता है, दूसरा पैर एक साथ फैलता है और अधिक स्थिर हो जाता है, जिससे हमें गिरने से रोका जा सकता है।
हमारे परिधीय तंत्रिका तंत्र की जन्मजात, हार्ड-वायर्ड रिफ्लेक्स प्रतिक्रियाएं हमें खतरे से सुरक्षित रखने में मदद करती हैं, लेकिन वे परिधीय तंत्रिका तंत्र द्वारा निष्पादित एकमात्र स्वचालित कार्य नहीं हैं । जब क्रियाएं दैहिक नहीं होती हैं, तो वे स्वायत्त होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे सचेतन विचार से स्वतंत्र रूप से संचालित होती हैं ।
ऐसी प्रक्रियाओं में आपके दिल की धड़कन, मांसपेशियों के संकुचन और श्वसन द्वारा पाचन तंत्र में भोजन का मंथन शामिल है । जबकि हमारा मस्तिष्क इनमें से कुछ प्रक्रियाओं पर नियंत्रण कर सकता है – अपनी सांस रोकने के बारे में सोचें – जब हम सो जाते हैं या जब हम बेहोश हो जाते हैं तब भी स्वायत्त कार्य चालू रहेंगे ।
हालाँकि, जिन प्रक्रियाओं को हम नियंत्रित नहीं कर सकते, वे किसी भी तरह से अपरिवर्तनीय नहीं हैं । इसके बजाय स्वायत्त तंत्रिका तंत्र के नियंत्रण में अंगों को सहानुभूति और पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र के बीच संतुलन द्वारा नियंत्रित किया जाता है ।
उत्तेजनाओं के आधार पर, ये प्रणालियाँ हमारे आंतरिक अंगों की गतिविधि को बढ़ाती या घटाती हैं, जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि हमारा शरीर सामने आने वाली चुनौती का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार है ।
नर्वस सिस्टम रोग
तंत्रिका विकार आमतौर पर तंत्रिका तंत्र से प्रभावित होते हैं जो वायरस, बैक्टीरिया, कवक और परजीवी संक्रमण के कारण होते हैं। नर्वस सिस्टम की अस्थिरता में अल्जाइमर रोग, डाइमेंशिया, मिर्गी, सेरेब्रोवास्कुलर विकार जैसे क्रोनिक, स्ट्रोक और अन्य सिरदर्द शामिल हैं।
नर्वस सिस्टम कमजोर होने के लक्षण
रीढ़ की हड्डी की डिस्क सहित आस-पास के ऊतकों से अत्यधिक दबाव, नसों को चोट पहुँचता है। और उनके सिग्नलिंग में हस्तक्षेप कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप दर्द, झुनझुनी, कमजोरी या सुन्नता होती है क्योंकि तंत्रिका ख़राब हो जाती है।
स्पाइनल डिस्क रीढ़ की हड्डी के कशेरुकाओं (मेरुदण्ड अनेक छोटी-छोटी अस्थियों से बना होता है) के बीच स्थित होती हैं, जहां वे शॉक अवशोषक के रूप में कार्य करती हैं । वे एक नरम केंद्र और सख्त बाहरी बैंड से बने होते हैं।
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, डिस्क में उपास्थि सूख जाती है और सख्त हो जाती है और बाहरी परत उभर जाती है। जब रीढ़ की हड्डी की डिस्क की बाहरी परत फट जाती है, तो इसे हर्नियेशन के रूप में जाना जाता है,
जो डिस्क के नरम केंद्र को बाहर निकलने की अनुमति देता है । पार्श्विक हर्नियेटेड डिस्क में, यह रीढ़ की हड्डी की तंत्रिका जड़ पर दबाव डालता है। सेंट्रल हर्नियेशन रीढ़ की हड्डी पर अत्यधिक दबाव डाल सकता है,
जिससे कुछ मामलों में गंभीर संपीड़न हो सकता है । इसके परिणामस्वरूप पैरों की मोटर कार्यप्रणाली ख़राब हो सकती है, जिससे खड़े होने और चलने पर संतुलन और ताकत प्रभावित हो सकती है।
न्यूरॉन्स हमारे शरीर में सिग्नलिंग के एजेंट हैं, लेकिन वे अकेले काम नहीं करते हैं । एक्सोन, जो न्यूरॉन के कोशिका शरीर से संकेतों को दूर ले जाते हैं, माइलिन के एक ढेर में लेपित होते हैं। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में ऑलिगोडेंड्रोसाइट्स नामक कोशिकाओं द्वारा माइलिन शीव्स का उत्पादन किया जाता है,
जो तंत्रिका चालकता की रक्षा और सुविधा प्रदान करने के माइलिन के कार्य को सक्षम बनाता है। मल्टीपल स्केलेरोसिस में, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के भीतर एक असामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सुरक्षात्मक माइलिन को छीन लेती है और बहुत अधिक तंत्रिका घाव या स्केलेरोसिस का कारण बनती है, जिससे बीमारी को इसका नाम मिलता है। माइलिन पुनर्जनन को प्रोत्साहित करके बीमारी के इलाज के लिए अनुसंधान प्रयास चल रहे हैं ।
तंत्रिका तंत्र के कार्य
1. Detection (जांच)-जब आपकी कोशिकाएं खतरे में होती हैं, जैसे कि जब आप गलती से गर्म स्टोव को छूते हैं, तो आपकी त्वचा में रिसेप्टर्स एक तंत्रिका आवेग शुरू करते हैं।
2. Sensor neuron (सेंसर न्यूरॉन)- तंत्रिका आवेग संवेदी न्यूरॉन के डेंड्राइट्स से रीढ़ की हड्डी की ओर जाता है।
3. Interneuron (इंटरन्यूरॉन)-रीढ़ की हड्डी में स्थित, इंटरन्यूरॉन सेंसर और मोटर न्यूरॉन्स के बीच एक रिले के रूप में कार्य करता है, जो आवेग को मोटर न्यूरॉन्स तक पहुंचाता है।
4. Motor neuron (मोटर न्यूरॉन)-तंत्रिका आवेग रीढ़ की हड्डी से दूर मोटर न्यूरॉन के माध्यम से लक्ष्य मांसपेशी रिसेप्टर्स की ओर जाता है।
5. Motor function (मोटर फ़ंक्शन)- सिग्नल मांसपेशियों को सिकुड़ने के लिए मजबूर करता है, जिससे आपका हाथ बिना किसी सचेत विचार के स्वचालित रूप से गर्मी स्रोत से दूर हो जाता है।
6. Close neighbours –तंत्रिका आवेग सिनैप्स पर ‘छलांग’ लगाकर जुड़े हुए न्यूरॉन्स तक पहुंचता है, जो उनके बीच एक छोटा सा अंतर होता है।
7. One-way traffic (एकतरफ़ा यातायात)- तंत्रिका आवेग एक दिशा में यात्रा करता है, संवेदी न्यूरॉन से शुरू होकर मोटर न्यूरॉन के अंत पर समाप्त होता है।
8. One-way traffic (पॉलीसिनेप्टिक रिफ्लेक्स)-रिफ्लेक्सिस सरल या जटिल प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकते हैं। पॉलीसिनेप्टिक रिफ्लेक्सिस कई मांसपेशियों को संकेत भेज सकते हैं, जिससे हम रिफ्लेक्स के दौरान उन्हें एक साथ अनुबंधित कर सकते हैं।
Nervous system parts and functions
1. केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (Central nervous system) – केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र में मुख्य रूप से मस्तिष्क , मेरूरज्जू तथा इसमें निकलने वाली तंत्रिका कोशिकाएँ शामिल होती है
2. परिधीय तन्त्रिका तन्त्र (Peripheral nervous system ) – परिधीय तंत्रिका तन्त्र दो तरहा की तंत्रिकाओं से मिलकर बानी होती है
(i) संवेदी (Sensory nerves) – ऐसी तंत्रिका जो उदीपनों ( Stimulus) को ऊतको (tissue ) व अंगो से केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र तक लाती हैं ।
(ii)प्रेरक या अपवाही (Motor nerve)- ये ऐसी तंत्रिकाएँ हैं जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से नियामक उद्दीपनों ( Regulatory stimulus)को सबंधित अंगों तक पहुँचाती हैं ।
3. स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (Autonomic nervous system) – यह उन अंगों की क्रियाओं का संचालन करता है जो व्यक्ति की इच्छा से नहीं, जो खुद से ही कार्य करते है जैसे ह्रदय, फेफड़ा, और कुछ ग्रन्थियाँ ।
Central nervous system
यह पुरे शरीर पर नियन्त्रण रखता है। इसमें नर्व सेल्स तथा नर्व फाइबर दोनों होते हैं।
सेंट्रल नर्वस सिस्टम दो भाग से मिलकर बना होता है।
1. मस्तिष्क (Brain)
2. मेरूरज्जु (Spinal Cord)
1. मस्तिष्क (Brain)
मानव मस्तिष्क शरीर का एक सेंट्रल पार्ट है जो इनफार्मेशन, आर्डर व निंयत्रण का कार्य करता है । शरीर के जो विभिन्न कार्य होते है, जैसे तापमान नियंत्रण, ह्यूमन बिहेवियर, रक्त को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, साँस लेना, देखने, सुनना, बोलना, आदि को नियंत्रित करता है।
इसमें अंग में करीब 1.5 किलो वजन होता है। मस्तिष्क खोपड़ी के क्रेनियम में पाया जाता है। क्रेनियम मस्तिष्क को बाहरी चोट से बचाता है। । मस्तिष्क के आवरण के बीच एक खास तरह का द्रव्य होता है, जिसे मस्तिष्क मेरूद्रव्य कहते है ।
इसमें करीब 100 बिलियन नर्व सेल्स होती हैं।
स्तनधारियों में मस्तिष्क और मेरूदण्ड के तीन मिनिंग्स होते है – ड्यूरामेटर, अरेक्नॉइड और पायामेटर (Duramater, Arachnoid and Pyamater) द्वारा घिरे होते हैं। मिनिंग्जाइटिस (meningitis) में यही मिनिंग्स जीवाणुओं द्वारा संक्रमित होने की सम्भावना अधिक हो जाती है, जिसके कारण सिरदर्द, उल्टी एवं दर्द होता है।
मस्तिष्क एवं मेरूदण्ड (brain and spinal cord) के अन्दर तथा बाहर सेरेब्रोस्पाइनल द्रव (cerebrospinal fluid) पाया जाता है, जो मस्तिष्क तथा मेरूदण्ड की बाहरी धक्कों से रक्षा करता हैं।
मस्तिष्क के तीन भाग होते हैं
1. अग्र मस्तिष्क(Fore Brain)
2. मध्य मस्तिष्क(Mid Brain)
3. पश्चमस्तिष्क (Hind Brain)
1. अग्र मस्तिष्क(Fore Brain)
प्रमस्तिष्क,थेलेमस, हाइपोथेलेमस (Cerebrum, thalamus and hypothalamus) मिलकर अग्र मस्तिष्क(Fore Brain) का निर्माण करते हैं।
अग्र मस्तिष्क(Fore Brain) के दो भाग होते हैं
(i) सेरेब्रम (Cerebrum) – प्रमस्तिष्क से मानव मस्तिष्क का 80 से 85 % भाग बना होता है । यह बुद्धिमता (memory), इच्छा शक्ति (will power), वाणी (speech) एवं चिन्तन का केन्द्र (center of intelligence) है । ज्ञान की इन्द्रियों से प्राप्त प्रेरणाओं का इसमें विश्लेषण और कोआर्डिनेशन होता है।
अग्र मस्तिष्क (Fore Brain) सेरेब्रम में दो दाएं और दो बाएं गोलार्द्ध (hemisphere) होते हैं। दोनों गोलार्द्ध कार्पस कैलोसम (hemisphere corpus callosum) द्वारा जुड़े होते हैं। एक लम्बा गहरा विदर प्रमस्तिष्क को दाएँ व बांए गोलार्धों (Hemisphere) में डिवाइड करता है । प्रत्येक गोलार्द्ध में Grey Matter पाया जाता है
जो प्रान्तरथा या वल्कुट (Prantaratha or Valkut) या कोर्टेक्स ( Cortex ) कहलाता है । अन्दर का भाग सफ़ेद द्रव्य (White Matter ) से बना हुआ होता है जिसे अन्तस्था या मध्याशं कहा जाता है । Grey मटर में कई तंत्रिकाएँ पाई जाती हैं । यह अधिक होने के कारण ही इस द्रव्य का रंग घूसर (Gray) दिखाई देता है । दोनों गोलार्द्ध आपस में कार्पस कैलोसम (corpus callosum) के द्वारा जुड़े होते हैं ।
प्रमस्तिष्क (Cerebrum) चारों ओर से थेलेमस (thalamus) से घिरा हुआ रहता है।
(ii) डाइएनसेफैलॉन यह सेरेब्रम के पीछे तथा नीचे और सेरेब्रल गोलार्द्ध एवं मध्य मस्तिष्क (cerebral hemispheres and midbrain) के बीच स्थित होता है।
इसके दो भाग थैलेमस और हाइपोथैलेमस हैं
थैलेमस- इसकी दो गोलाकार संरचनाएँ (structure) होती हैं, जो दर्द, ठण्ड एवं गर्म (pain, cold and hot) आदि को पहचानने का कार्य करती रहती है। यह ज्ञानेन्द्रियों तथा सेरेब्रम (sense organs and cerebrum) के मध्य कनेक्शन की मुख्य कड़ी है ।
हाइपोथैलेमस– यह भूख, प्यास, ताप, प्यार, घृणा (hunger, thirst, heat, love, hate) आदि का केन्द्र (center) होता है तथा वसा एवं कार्बोहाइड्रेट (fat and carbohydrates) के मेटाबोलिज्म पर कण्ट्रोल करने के साथ अंतःस्रावी ग्रन्थियों (endocrine glands) से स्रावित हॉर्मोन (secreted hormones) पर इसका नियंत्रण होता है
सेरेबेलम, सेरेब्रम (cerebrum) के ठीक नीचे पंच भाग में होता है। इसका मुख्य कार्य शरीर का सन्तुलन (balance) बनाए रखना तथा ऐच्छिक पेशियों के संकुचन (contraction of voluntary muscles) पर नियंत्रण करना होता है।
मस्तिष्क के सबसे पीछे का भाग मेड्यूला ऑब्लोंगेटा (Medulla Oblongata) कहलाता है, जो पॉन्स और मेरूरज्जु (pons and spinal cord) के बिच स्थित होता है। इसका पिछला भाग ही स्पाइनल कॉर्ड बनाता है। यह हृदय स्पन्दन, रुधिर नलिकाओं, लार स्राव, श्वसन गति की दर (pulse, blood vessels, salivation, rate of respiration) तथा प्रत्यावर्ती एवं अनैच्छिक गतियों (reflex and involuntary movements) को कण्ट्रोल करती है ।
मध्य मस्तिष्क(Mid Brain) इसमें चार भाग होते है, जो हाइपोथेलेमस तथा पश्चमस्तिष्क (hypothalamus and hindbrain) के मध्य स्थित होता है। प्रत्येक bodies को कॉर्पोराक्वाड्रीजेमीन कहा जाता है। ऊपरी दो पिण्ड दृष्टि (Vision)के लिए तथा निचले दो पिण्ड श्रवण (Hearing) के लिए रेस्पोंसिबल हैं। पश्चमस्तिष्क (Hind Brain) यह भाग Cerebellum, पोंस तथा मध्यांश ओब्लोंगता को रखता है।
Spinal Cord in Hindi-
मेरूरज्जु का पिछला भाग मेड्यूला ऑब्लोंगेटा बनाता है इसमें 31 जोड़ी नर्व पायी जाती हैं। यह reflex action का केन्द्र (center) होता है यही मस्तिष्क (brain) एवं मेरू(marrow) तन्त्रिकाओं को जोड़ने का कार्य करती है।
स्पाइनल कॉर्ड की दोनों सतह पर नौच पाई जाती हैं, जिसे डॉर्सल फिशर और वेन्ट्रल फिशर (Dorsal Fissure and Ventral Fissure) कहते हैं, मेरूरज्जु के बिच में सेंट्रल कॉर्ड पाई जाती है, जिसमें सेरेब्रोस्पाइनल द्रव (cerebrospinal fluid) भरा होता है। स्पाइनल कॉर्ड के अंदर Grey Matter तथा बाहर के स्तर को White Matter कहते हैं ।
Neurons meaning in Hindi
What are neurons? । न्यूरॉन्स क्या होते है ?
कोशिकाएं (cells) जो कि नर्वस सिस्टम को बनाती हैं, उसको न्यूरॉन्स कहते है। न्यूरॉन्स तंत्रिका तंत्र की स्ट्रक्चर व फंक्शनल यूनिट है जिसके द्वारा यह मैकेनिज्म शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक सिग्नल भेजता है । ये कोशिकाएँ शरीर के लगभग हर टिश्यू / बॉडी पार्ट को केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र से जोड़कर रखती हैं । न्यूरॉन्स शरीर में सबसे बड़ा सेल है। न्यूरॉन्स की संरचना ऐसी है कि यह तेजी से शरीर में संदेशों को ले जाने में सक्ष्म है। यह संदेश विद्युत के तरंगों या तंत्रिका आवेग (electrical waves or nerve impulses) के रूप में होते हैं।
How many parts are there in neurons? । न्यूरॉन्स के कितने भाग होते है ?
प्रत्येक न्यूरॉन्स तीन भागों में मिल कर बनता है (i) Cell Body – कोशिका काय में एक केन्द्रक तथा अनेक सेल्स पाए जाते हैं (ii) Dendron – ये कोशिका काय से निकले छोटे तन्तु होते हैं । जो कोशिका काय की शाखाओं के तौर पर पाये जाते है (iii) तंत्रिकाक्ष (Axon) – यह लम्बा बेलनाकार प्रवर्ध है जो कोशिका के एक हिस्से से शुरू होकर धागे जैसी शाखाएँ बनती है।
What is the function of neuron? । न्यूरॉन का क्या कार्य है?
न्यूरॉन्स तंत्रिका तंत्र की सरंचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है जिसके द्वारा यह तन्त्र शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संकेत भेजता है । ये कोशिकाएँ शरीर के लगभग हर ऊतक / अंगों को केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र से जोड़कर रखती हैं । तंत्रिका कोशिकाएँ (Neurons) शरीर के बाहर से अथवा भीतर से उद्दीपनों ( Stimuli ) को ग्रहण करती है । आवेगों ( संकेतो ) के माध्यम से उद्दीपन एक से दूसरी तंत्रिका कोशिका में अभिगमन करते हुए केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र तक पहुँचते हैं । केन्द्रीय तन्त्र से प्राप्त प्रतिक्रियात्मक संदेशों को वापस पहुँचाने का कार्य भी तंत्रिका कोशिका के माध्यम से ही संपादित होता है ।
Post Conclusion–
दोस्तों अपने इस Article के माध्यम से Nervous system के बारे में जाना, आशा है की आपको इस ब्लॉग पोस्ट से मिली जानकारी ज़रूर अच्छी लगी होगी। Vigyan Voice blog पर अपना समय देने के लिए आपका धन्यवाद। अपने दोस्तों को भी इस जानकारी को भेज सकते हैं, अधिक पोस्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और अधिक जानकारी पढ़ने का आनंद लें ।
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Q1.नर्वस कितने प्रकार की होती हैं ?
Ans1. 1.केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र
2.परिधीय तंत्रिका तंत्र
3.स्वायत्त या स्वचालित तंत्रिका तंत्र
Q2.सबसे छोटी तंत्रिका कौन सी होती है?
Ans2.Cranial nerve (कपाल तंत्रिका)
Q3.सबसे बड़ी तंत्रिका कौन सी है?
Ans3.आसन तंत्रिका यह मानव और पशु में पायी जाती हैं।
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